Search This Blog

Pages

Sunday, April 4, 2010

मेले का सच


पिछले काफी दिनों से स्थानीय मिर्धा पार्क में राजस्थान-पत्रिका के संयुकत तत्वावधान में चल रहे डीडवानाफेस्टिवल में लगी दुकानों को यदि लुटेरा कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी इस मेले में दुकानदारो ने प्रत्येक वास्तु का मोल लगभग दुगना वसूल किया ! बच्चो के लिए झूले और आइस्करिम के भाव मेने अपनी ३५ साल की उम्र में कही नहीं देखे है ! १५ग्राम कुल्फी की किम्मत १० रुपये लेनेवाले हाथ मासूम बच्चो के लिए एक बार भी नहीं कम्पे ! आचार , मंगोड़ी , पापड़ , सहित कोई भी वास्तु क्वालिटी की नहीं देखि गयी ! खाने-पिने का अन्य सामानहद से भी ज्यादा महंगा था ! आयोज़क राजस्थान-पत्रिका को इसे मेलो से बचना चाहिए वर्ना वो दिन दूर नहीं जब लोग पत्रिका की साख पर उंगली उठाने लग जायेंगे ! ऊपर बैठे लोगो से मेरा आह्वान है की वो इसे आयोजनों को स्वीकर्तीदेने से पहले कुछ नियम कायदे भी बनाये ! मेरा पत्रिका-प्रशासन से बस इतना सा निवेदन है की भविष्य में इस तरह का आयोजन करना हो तो कम से कम इस भोली-भालीगरीब जनता को कचरा बेचने की तो मत सोचना !

No comments:

Post a Comment