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Sunday, June 27, 2010


राजस्थान एक ऐसा परदेश जहाँ कायमखानी समाज की तादात पुरे देश में सबसे ज्यादा है ! गत १० वर्षों से कायम खानी समाज में लगातार विवाद पर विवाद सामने आ रहा है ! ६ साल पहले फतेहपुर में जो कुछ भी हुआ उसे समाज ने बड़ी ही मुस्कील से भुलाया था की ६ जून २०१० को झुन्झुनु के बीसाऊ में एक बार फिर इस समाज की जड़े हील उठी ! पद की लालशा में कई दिगज नेताओ ने साड़ी मर्यादाओ को टाक पर रख दिया !

अभी दो ही सन्डे निकले थे की तीसरे सन्डे को एक बार फिर इस कोम के रहबरों ने अपनी आन बाण शान को कायम रखने का हवाला देते हुए डीडवाना के कायमखानी छात्रावास में एक आपातकालीन समेलन का आयोजन किया ! यहाँ सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था की अचानक ही लात घुसे चलने सुरु हो गए देखते देखते ही लाल मिर्ची का पौडर लोगो की आँखों में झोंक दिया गया ! अफरा तफरी के इस माहोल में युवा शक्ति ने डीडवाना के नानजी व उसके साथियों की जम्कार्ट पिटाई कर डाली ! नानजी व उनके समर्थकों ने तथाकथित अध्येक्ष बहादूर खान जिंदाबाद के नारे लगाये !

दोपहर ३ बजे तक चले इस आयोजान में २१ सदस्यों की चुनाव समीति का गठन किया गया जो आगामी ३ माह के भीतर चुनाव करवाएगी ! १० सदस्यों को संवीधान संशोधन की जिमेदारी दी गई है ! साथ ही ५ लोगो को हर ३ साल से चुनाव कराने का जीमा सोंपा गया है ! इस समेलन की खाश बात ये रही की पूर्व के तमाम तथा कथित अध्येक्षों को समाज ने एक सिरे से खारिज कर दिया !

Monday, June 7, 2010

शोर्य और वीरता की ये कैसी तस्वीर ...


कहा जाता है कि जंग में शिकस्त हो तो जान जाती है , और शियासत में शिकस्त हो तो शान जाती है ! परन्तु ६ जून को चुरू जिले के बिसाऊ कस्बेमें राजस्थान कायमखानी महा सभा के चुनावों में जो तस्वीर देखने को मिली उसन तो इस बहादूर और वीर माने जाने वाली जाती के माथे पर एक बार पुन: दाग ही लगा दिया है !

कायमखानी एक एसा समाज जो अपनी आन बान और शान के साथ-साथ देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगाने से भी पिच्छे नहीं हटाने वाली कोम के नाम से विख्यात रहा है ! गत लम्बे अरसे से इस कोम के कुछ मतलब फरोश लोगो ने अपनी झूंठी शान को बढ़ने के लिए इस जाती के मोज़ेज़ लोगो को भ्रम में रख कर समाज के साथ खिलवाड़ किया है ! आजीवन अध्येक्ष का खवाब पाले कुछ लोग ये भूल रहे है कि इस समाज को आज निक और वफादार लोगो कि जरूरत है परन्तु पद कि भूख ने समाज के सभ्रांत तबके को भी गद्दारों के पाले में ला खड़ा किया है ! समाज को आज सेवको की जरूरत है पर सेवा के नाम पर इस कोम की बाग़ डोर वो लोग अपने हाथो में लेना चाहते है जिन का सेवा भाव से कोसो तक कोई रिश्ता नहीं है ! इसी ही लालशा का जीता जगता उदाहरण है ६ जून को बिसाऊ में हुई घटना !!!!!