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Monday, June 7, 2010

शोर्य और वीरता की ये कैसी तस्वीर ...


कहा जाता है कि जंग में शिकस्त हो तो जान जाती है , और शियासत में शिकस्त हो तो शान जाती है ! परन्तु ६ जून को चुरू जिले के बिसाऊ कस्बेमें राजस्थान कायमखानी महा सभा के चुनावों में जो तस्वीर देखने को मिली उसन तो इस बहादूर और वीर माने जाने वाली जाती के माथे पर एक बार पुन: दाग ही लगा दिया है !

कायमखानी एक एसा समाज जो अपनी आन बान और शान के साथ-साथ देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगाने से भी पिच्छे नहीं हटाने वाली कोम के नाम से विख्यात रहा है ! गत लम्बे अरसे से इस कोम के कुछ मतलब फरोश लोगो ने अपनी झूंठी शान को बढ़ने के लिए इस जाती के मोज़ेज़ लोगो को भ्रम में रख कर समाज के साथ खिलवाड़ किया है ! आजीवन अध्येक्ष का खवाब पाले कुछ लोग ये भूल रहे है कि इस समाज को आज निक और वफादार लोगो कि जरूरत है परन्तु पद कि भूख ने समाज के सभ्रांत तबके को भी गद्दारों के पाले में ला खड़ा किया है ! समाज को आज सेवको की जरूरत है पर सेवा के नाम पर इस कोम की बाग़ डोर वो लोग अपने हाथो में लेना चाहते है जिन का सेवा भाव से कोसो तक कोई रिश्ता नहीं है ! इसी ही लालशा का जीता जगता उदाहरण है ६ जून को बिसाऊ में हुई घटना !!!!!

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